स्याह उजाले के धवल प्रेत - भाग 5

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भाग -5 लॉक-डाउन का समय जैसे-जैसे बीत रहा है, पति-पत्नी का तनाव वैसे-वैसे बढ़ रहा है। दोनों के बीच यह तनाव रात में हाथ गरमाने के समय भी अब ज़्यादा दिखने लगा है। एक दिन वह झल्लाती हुई बोली, “घर में बंद होने का मतलब यह नहीं है कि जब देखो तब हाथ गरमाने लगे, आख़िर तुम्हें हो क्या गया है, पहले तो ऐसे नहीं थे।  “इस छोटी-सी कोठरी में न बच्चों का ध्यान रखते हो, न दिन का, न रात का। बस हाथ . . . अरे इतनी बड़ी विपत्ति आ गई है, ज़िन्दगी ख़तरे में पड़ गई है।