स्याह उजाले के धवल प्रेत - भाग 1

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भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव पोस्ट-ग्रेजुएट राज-मिस्त्री वासुदेव को समाचार शब्द से ही घृणा है। वह टीवी, रेडियो, अख़बार कहीं भी समाचार देख सुन नहीं सकता, नाम लेते ही आग-बबूला हो जाता है। कहता है, “यह सब समाचार कम बताते हैं, बात का बतंगड़ बना कर तमाशा-ही-तमाशा करते हैं, नेताओं की तरह लोगों को भरमाते हैं, लड़ाते हैं, आग लगाते हैं, गुंडे-बदमाशों, माफ़ियाओं को दिखा-दिखा कर उन्हें हीरो बना देते हैं, अपनी दुकान चलाते हैं।” उसके उलट उसकी ग्रेजुएट पत्नी दया को समाचार देखना बहुत पसंद है। उसे समाचार चैनलों पर होने वाली डिबेट्स धारावाहिकों से भी ज़्यादा पसंद हैं, क्योंकि