रुबिका के दायरे - भाग 3

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भाग -3 रुबिका को महबूबा का आवेश भरा लहजा बहुत ही नागवार गुज़रा। उसने कहा, “मैं किसी ऐरे-ग़ैरे की बात नहीं कर रही हूँ, मैं इतिहास से सबक़ लेने की बात कर रही हूँ। कितना अफ़सोसनाक है कि तुम भी मेरी तरह ही इतिहास में ही पीएच. डी. कर रही हो, लेकिन जिसके नाम से ही दुश्मनों की रूह काँप जाती थी, उस हरि सिंह नलवा और मुस्लिम मर्दों के सलवार कुर्ता पहनने के कनेक्शन को नहीं जानती।  “क़ौम के लिए वह हालत बड़ी शर्मिंदगी वाली होती है, जब क़ौम के मर्द, कोई काम निकालने के लिए औरतों के कंधों