जेहादन - भाग 2

  • 1.2k
  • 534

भाग -2 उसने माँ की शिक्षा का पूरा ध्यान रखा, बोली, “अम्मा आप सही कह रही हैं। मैंने भगवान की एक छोटी-सी फोटो रखी हुई है, कितनी भी देर हो रही हो, ईश्वर को प्रणाम करके ही निकलती हूँ और आकर भी करती हूँ, आप घर पर यह सब करवाती थीं, यह तो आदत में है, कैसे भूल सकती हूँ।” माँ ने पूछा, “तुम्हारे ऑफ़िस में सब लोग कैसे हैं?”  उसने कहा, “अम्मा वहाँ किसी को सिर उठाकर बात करने की भी फ़ुर्सत नहीं रहती और छुट्टी होते ही सभी घर की तरफ़ भागते हैं। मिलने पर बस हाय हैलो