हीर... - 5

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इश्क, मोहब्बत, प्यार, लव, प्रेम... नाम भले अलग अलग हैं लेकिन इन सबका अंजाम एक ही है.. तन्हाई, दर्द, टूटन और आंसू!! शायद इसी दर्द से होकर गुज़र रहा था राजीव.. शायद इसीलिये उसकी जिंदगी जीने की इच्छा ही खत्म हो गयी थी इसीलिये उसने खुद को आज उस हालत में पंहुचा दिया था जिसमें वो चाहकर भी अपने खुद के पैरों तक पर खड़ा नहीं हो पा रहा था और अंदर ही अंदर बस टूटता चला जा रहा था... जहां एक तरफ़ अपने फ्लैट में नशे की हालत में जमीन पर पड़ा राजीव.. अंकिता को याद करते हुये खुद