बड़ी माँ ‘हमारी पृथ्वी सौर-मण्डल का एक बहुत ही विचित्र ग्रह है। इसकी संरचना भगवान ने मानो स्वयं अपने हाथों से प्राणी जगत की उत्पति एवं उत्थान हेतु की है। इस ग्रह की सुन्दर संरचना में प्रकृति भी पीछे नहीं रही है। कहीं विशाल पहाड़ हैं तो कहीं पत्थरीले पठार और कहीं मनमोहक सुन्दर घाटियाँ हैं, जिनके आंचल में दूर-दूर तक फैले अनेकों छोटे-बड़े हरे-भरे मैदान हैं। यही नहीं, पृथ्वी का कोई भाग तो सर्द हवाओं के थपेड़ों से ठिठुर रहा है और कहीं पर तपते रेगिस्तान की गर्मी अपने आगोश में आई हर वस्तु को झुलसा रही है, तो