आज जो मै आपको किस्सा सुनाने जा रहा हु वो मेरे दादाजी के साथ हुआ था | दिसम्बर के कड़ी ठंड का समय था घना कोहरा छाया था | दादाजी शहर में क्लर्क थे उस दिन सारे लोग जल्दी कार्यालय का सारा काम ख़त्म करके घर की तरफ निकल रहे थे |दादा जी उस समय के बड़े अधिकारियों मे से एक थे |रोज की तरह ही उस दिन कम ख़त्म होने के बाद घर के लिए अपनी गाड़ी से रवाना होने लगे | रास्ते में उन्हे हाट से कुछ समान भी लेना था तो वे अपने साथियों से अलग हो