आठ उस दिन की गोष्ठी के बाद आयोजकों और अन्य विशिष्ट व्यक्तियों के बीच सुष्मिताजी का स्वागत जिस गर्मजोशी से हुआ, उससे वे पुलकित हो गईं। गिरधर, जिसने इस समारोह के लिए सुष्मिताजी पर विशेष रूप से जोर डाला था तथा 'संदर्भ समिति’ के लिए सुष्मिताजी को सदस्या के रूप में प्रस्तावित किया था, वह भी प्रफुल्लित था। सुष्मिताजी जैसे व्यक्तित्व को समिति में शामिल करने के प्रस्ताव का औचित्य सुष्मिताजी के सिद्ध कर दिये जाने के बाद वह यह अनुभव करता घूम रहा था कि उसने पदाधिकारियों पर निश्चय ही अपने चयन की बेहतरीन छाप छोड़ी है। गोष्ठी बेहद