वंश - भाग 4

  • 1.1k
  • 492

चार सुष्मिताजी घर के सारे कार्य निपटाकर बत्तियाँ बुझाकर जब अपने बेडरूम में जाकर बिस्तर पर लेटीं, उस समय उनका अनुमान था कि लेटते ही नींद आ जायेगी। लेकिन शरीर के जरा से आराम में आ जाने के बाद विचारों के जिस गुंजलक में वह घिर गईं, उसमें नींद आने की संभावना दूर-दूर तक नहीं थी। इस समय उनके विचारों का केन्द्र अपना बीता हुआ समय, वरुण सक्सेना या उनके परिवार के अन्य लोगों में से कोई और नहीं, बल्कि उनके घर के बाहरी कक्ष में सोया हुआ उनका अपरिचित युवा मेहमान सुधीर था। वे न जाने किस मोह-ममता या