वंश - भाग 3

  • 1.8k
  • 612

तीन उधर ट्रेन ने खिसककर प्लेटफार्म छोड़ा, इधर सीट पर पैर फैलाकर सुष्मिताजी ने टिफिन खोला। फिर न जाने क्या सोचकर उसे बन्द करके साथ वाली टोकरी में वापस रख दिया और टोकरी में ऊपर ही ऊपर रखा कागज का वह लिफाफा उठा लिया। उस लड़के ने एक पाव कहते-कहते भी जबरन तीन सौ ग्राम आलू बुखारे भेड़ दिये थे उन्हें। मना करने पर कहता था-तीन सौ ग्राम पूरे ले लो माताजी, छुट्टा नहीं है। और 'माताजी’ उस तेरह-चौदह साल के लड़के को इस तरह देखती रह गयीं कि उन्हें यह भी याद नहीं रहा, लड़के ने उनके पाँच के