आज मेरे साथ दो घटना हुई। पहली, वृषा की मदद करने उनके कमरे में, उनके कपड़े निकालने पहली बार गयी,"ये क्या? क्या ये अंधेरे के बेटे है?", वृषा के पास सिर्फ शतरंज के पासे जैसे कपड़े थे। और दूसरा, उनकी दी गयी चेतावनी को ना मानना और बिना अपनी मर्ज़ी के किसीके पीछे भी चल देना, और अब पूल में डूबकर मरने से आधे इंच भी दूर नहीं हूँ.....