“देखो, हमें दोनों पहलुओं पर गौर करना चाहिए। हो सकता है कि प्रीति सच में दिल्ली केवल अपने माता-पिता से मिलने आती हो, और हो सकता है कि शरद ने सिर्फ नीलम की मदद की हो। उसके पीछे कोई और वजह ना हो।” गौतम ने गुत्थी को थोड़ा सुलझाने की कोशिश की। “हाँ, पर इसका उल्टा भी हो सकता है। तो, एक काम करते हैं, कविता तुम बैंगलुरू चली जाओ। प्रीति से मिलकर आओ। शायद सच्चाई पता चल जाए।” विक्रम बोला। “अमोल से ही पूछताछ कर लेते हैं ना, मेरे बैंगलुरू जाने से क्या होगा?” कविता ने कहा। “नहीं-नहीं, अमोल