संस्कार कि शिक्षा

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एक गाँव मे एक गरीब ब्राह्मण रहते थे उस गरीब ब्राह्मण के पास अपनी छोपडी के अलावा खेती की कोई जमीन नही थी जिसके कारण पंडित जी अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिये पांडित्य कर्म करते उससे भी परिवार का पेट नही भरता तो भिक्षाटन भी करते बड़ी मुश्किल से परिवार का गुज़र बसर हो पाता कभी कभार भाका मस्ती के कारण पानी पी कर ही दिन रात गुजारनी पड़ती।पंडित की चार पुत्र थे जिनका पढने लिखने में मन नही लगता पंडित जी अपनी पूरी क्षमता से कोशिश करते कि उनके बेटे कम से कम इतना तो पढ़