ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 22

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भाग 22“कविता, कहाँ हो? देखो तो कौन आया है?” विक्रम घर में घुसते ही कविता को पुकारने लगा। कविता जो किचन में रात के खाने की तैयारी में जुटी थी, विक्रम की आवाज़ सुन हाथों में कड़छी लिए बाहर आई। उसे देख विक्रम और गौतम दोनों ने अपने हाथ ऊपर उठा लिए और‌ बोले,“माफ़ी सरकार, माफी।” “अरे! मैं तो किचन में काम कर रही थी। क्या तुम दोनों भी ना! नमूने हो बिल्कुल।” कविता ने हँसते हुए कहा, और फिर गौतम की तरफ देख मुस्कुराते हुए बोली, “हैलो गौतम! कैसे हो?” “हैलो कविता! मैं बिल्कुल ठीक हूँ। तुम कैसी हो?”