फागुन के मौसम - भाग 23

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जब दफ़्तर में लंच ब्रेक हुआ तब तारा राघव के पास आकर बोली, "राघव यार, तुम्हारे चक्कर में न तो मैंने आज सुबह नाश्ता किया और न ही टिफिन लेकर आयी हूँ।" "तो अब मैं क्या करूँ?" राघव ने उसे घूरते हुए कहा तो तारा बोली, "खाना खिलाओ मुझे और क्या।" राघव ने अपना टिफिन निकालकर मेज़ पर रखा तो तारा ने जानकी से भी खाने के लिए पूछा। "मैं अपना टिफिन लेकर आयी हूँ।" जानकी ने कहा तो तारा बोली, "अच्छा, कम से कम अपनी कुर्सी से उठकर हमारे साथ तो बैठ जाओ।" जानकी जब अपना टिफिन लेकर तारा