औक़ात

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डाॅ प्रभात समीर काशी बाबू ने अपने छुटके को डाँटा-फटकारा, रिश्ते-नातों की दुहाई दी, मारपीट की और फिर थक-टूटकर उससे दया की भीख भी माँगी। क्रोध से शुरू होकर खीज, करुणा और बेबसी तक पहुँची कई दिन की इस यात्रा में छुटका तटस्थ भाव से एक ही वाक्य दोहराता रहा - ‘हम शादी करेंगे तो बाँके की बहन से।’ पूरे परिवार ने एड़ी - चोटी का ज़ोर लगा लिया, अपनी जाति की एक से एक सुन्दर कन्याओं में से किसी एक को भी दुल्हन बनाकर ले आने के वायदे किये, लेकिन बाँंके टस से मस न हुआ। शायद वह जानता