कलयुग का उत्कर्ष

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समय के साथ समाज मे घटित कुछ घटनाएं समाज पर इतना गहरा प्रभाव छोड़ जाती है जिसके परिणाम स्वरूप समाज त्वरित प्रतिक्रिया देता सकारात्मकता एव नकारात्मकता का विश्लेषण कर अपने आचरण में ही प्रस्तुत कर देता है जो युग काल समय कि संस्कृति सभ्यता का प्रतिनिधित्व करता भविष्य को सचेत एव जागरूक करता है ।पुराणों के अनुसार, सतयुग सत्य का युग है जिसमे चारो चरण में धर्म ही धर्म रहता है, त्रेता तीन चरण धर्म एक चरण अधर्म ,द्वापर दो चरण अधर्म दो चरण धर्म। धर्म शास्त्रों की मान्यताओं के अनुसार कलयुग में सर्वत्र अधर्म अनैतिकता का ही बोल बाला