श्रीमद्भगवद्गीता मेरी समझ में - अध्याय 17

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अध्याय 17 श्रद्धा त्रय विभाग योगईश्वर पर श्रद्धा ही मनुष्य की मुक्ति का साधन है। स्वयं को श्रद्धापूर्वक ईश्वर के चरणों में समर्पित करने से ही मुक्ति मिलती है। मनुष्य प्रकृति के तीन गुणों से प्रभावित होता है। ये तीन गुण उसकी श्रद्धा, भोजन और तप पर भी प्रभाव डालते हैं। इस अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने उसी का वर्णन किया है। अर्जुन ने पूछा कि हे कृष्ण जो धर्मग्रन्थों की आज्ञाओं की उपेक्षा करते हैं पर फिर भी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं, उन लोगों की स्थिति क्या होती है? क्या उनकी श्रद्धा, सत्वगुणी, रजोगुणी अथवा तमोगुणी होती