लागा चुनरी में दाग़--भाग(५५)

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प्रत्यन्चा धनुष को आउटहाउस से खाना खिलाकर वापस आ गई, लेकिन फिर वहाँ से वापस आकर उससे खाना नहीं खाया गया,वो इसके बाद अपने कमरे में चली आई और धनुष की बातों को सोच सोचकर रोती रही, उसने मन में सोचा कितना चाहते हैं धनुष बाबू उसे,लेकिन वे अपनी चाहत को जाहिर क्यों नहीं करते, उन्होंने खुद को इतना बेबस क्यों बना रखा है,अगर वे मुझसे अपने दिल की बात कह दें तो शायद मैं भी.... प्रत्यन्चा ये सब अभी सोच ही रही थी कि तभी भागीरथ जी उसे खोजते हुए उसके कमरे में आएँ और उससे बोले... "बेटी! अभी