जयन्त बुझे मन से अपने कमरे में आया,उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था,धनिया के मरने की खबर उसे आहत कर गई थी,वो स्नान करने के लिए स्नानघर में घुस गया और तब तक स्नान करता रहा ,जब तक कि उसका मन शान्त ना हो गया,इसके बाद वो तैयार हुआ और किसी से बिना कुछ कहे अपनी साइकिल उठाकर वो घर के बाहर चला गया,वो कहीं नहीं मंदिर गया था और वहाँ वो वृद्ध पुजारी जी के पास पहुँचा,उसने उनके चरण स्पर्श किए और उनके पास जाकर शान्ति से बैठ गया,जब वृद्ध पुजारी जी ने जयन्त को आहत देखा