दूसरे दिन भोर होते ही जयन्त जाग गया,इसके लिए उसने अलार्म लगाकर रखा था,क्योंकि उसे अपनी माँ नलिनी पर नज़र रखनी थी,नलिनी भोर होते ही काम पर लग जाती थी,वो आँगन में आकर वहाँ का नल खोलकर पटले पर बैठ जाती थी और घर भर के गंदे कपड़े धोने लगती थी,इसके बाद वो स्नान करके पूजा करती थी और फिर रसोईघर में सबके लिए नाश्ता बनाने के लिए जुट जाती थी,क्योंकि सुबह सुबह सुरबाला और गोपाली अपने बच्चों को सम्भालती थी,इसलिए दोनों रसोई में समय नहीं दे पातीं थीं,लेकिन जयन्त ने उस दिन ऐसा नहीं होने दिया... आज उसने अपनी