सन्यासी -- भाग - 7

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इसके बाद गोपाली आँगन में गीले कपड़े सुखाने पहुँची,जहाँ पर उसकी जेठानी सुरबाला पहले से ही मौजूद थी,जो धूप में मसाले सूखने के लिए डाल रही थी,वो लाल साबुत मिर्चों पर हाथ फेरते हुए गोपाली से बोली... "गोपाली! सच सच बताना,क्या हुआ था कल रात को"? "जीजी! तुम्हें सब पता ही तो है,फिर क्यों पूछती हो",गोपाली ने सुरबाला से कहा.... "बता ना! मैं किसी से कुछ ना कहूँगीं",सुरबाला बोली... तब गोपाली बोली.... "कल रात मुन्नीबाई कहीं और किसी नवाब के यहाँ मुजरा करने चली गई थी,इसलिए तुम्हारे देवर उससे मिल नहीं पाएँ,मैं रात मुन्ने को सुलाने की कोशिश कर रही