द्वारावती - 30

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30एक नया प्रभात अपने सौंदर्य को लेकर आगमन करने की तैयारी कर रहा था। उस क्षण अनायास ही आकर्षित होती हुई गुल भड़केश्वर महादेव के मंदिर के प्रति चलने लगी। तट पर आकर रुक गई। ‘मुझे मंदिर तक जाना है किन्तु आज भी समुद्र का जल स्तर कल की भांति अधिक है। इसने मंदिर को अपने बाहुपाश में घेरे रखा है।’ वह इधर उधर देखने लगी। ‘क्या कोई मार्ग नहीं इस जल स्तर के उपरांत उस मंदिर तक जाने का? कोई तो अन्य मार्ग अवश्य होगा। मुझे खोजना होगा उस मार्ग को।’‘मैं जाना चाहती हूँ किन्तु कोई मार्ग नहीं दिख