24एक नूतन प्रभात क्षितिज के गर्भ में जन्म ले रहा था। केशव के मन में भी कुछ जन्म ले रहा था। क्षितिज में जो जन्म ले रहा था वह शाश्वत था, केशव के मन में वह आज प्रथम बार जन्म ले रहा था। सम्भव है कि वह अंतिम बार भी हो, सम्भव है कि वह भी शाश्वत हो जाय। वह कन्दरा की शिला के समीप गया, रुक गया। उसने सभी दिशाओं में देखा। एक विहंगावलोकन किया। संतुष्ट नहीं हुआ। प्रत्येक दिशा को ध्यान से देखने लगा। कुछ समय पश्चात वह दूसरी कन्दरा के समीप जाकर खड़ा हो गया। स्थिर सा,