रति,लक्ष्मी के साथ मंदिर पहुंची,तो वहां आज रोज़ से कुछ ज़्यादा ही चहल-पहल थी। मंदिर में अजय अपनी मां के साथ खड़ा, पंडितजी से कुछ बातें कर रहा था। "बिटिया तू मंदिर में जा, मैं ज़रा देख आऊं कि भंडारे का प्रसाद तैयार हुआ या नही"- लक्ष्मी बोली। रति ने मुस्कुराते हुए हां में सिर हिला दिया,तो वो वहां से चली गई। उनके जाते ही रति ने शिवजी के सामने हाथ जोड़े और मन्दिर की सीढ़ियों को छूकर मन्दिर के अंदर आई। उसे देखते ही दीनानाथजी बोले - बिटिया तेरी अम्मा को बोल जाकर देखे, हलवाइयों ने प्रसाद तैयार किया