अब हम अपनी कहानी पर आते है , अरुण मितल ( रिवान के पिता जी ) - जो एक नंबर के लालची आदमी , पैसों का घमंड , गरीबों को कुछ न समझने वाले लेकिन शहर के बहुत बड़े बिजनेसमैन में गिने जाते थे । ' फोन पर बात करते हुए रिवान बेटा तुम एयरपोर्ट पहुंच गए ? ड्राइवर तुम्हे लेने गया है तुम परेशान मत होना । वो तुम्हे पहचानता है ख़ुद तुम्हारे पास पहुंच जाएगा । रिवान ड्राइवर का इंतेज़ार कर रहा था , ' विराज ' - क्या बात है मेरे शेर ? आज तुम्हारे चेहरे पर