तुम जो आए ज़िंदगी में... - 4

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आर्य को पता चल गया कि वो सबके सामने बात करने में अनकंफर्टेबल फील कर रही है। इसलिए आर्य मीरा का हाथ पकड़ कर उसे रूही के घर के बाहर ले जाता है। जहां एक सुंदर सा गार्डन था। रात में चांद की चांदनी में तो वो गार्डन और भी सुंदर लग रहा था। वहा एक हल्की सी लाइट लगी हुई थी। आर्य मीरा को वहा लाता है और वहा पड़ी एक बैंच पर मीरा को बिठाता है, और खुद बैंच के निचे मीरा के पैर के पास बैठता है, और मीरा के हाथ अपने हाथ में लेता है और