आश्रम में राघव के सामने किसी ने भी वैदेही को देखकर उसकी असली पहचान ज़ाहिर नहीं की। लीजा और मार्क भी यश के कहे अनुसार वैदेही को जानकी कहकर ही सम्बोधित कर रहे थे। ये देखकर तारा और वैदेही दोनों ने ही राहत की साँस ली। जब खाने-पीने का दौर समाप्त हो गया तब राघव ने दिव्या जी से पूछा कि उन्हें आज के कार्यक्रम में कोई कमी तो महसूस नहीं हुई। "बिल्कुल नहीं बेटा, तुम्हारी टीम ने सब कुछ इतने अच्छे से सँभाल लिया कि मेरे साथ-साथ आश्रम के सभी लोग बहुत ख़ुश हैं।" दिव्या जी ने स्नेह से