राघव ने जब से वैदेही को देखा था उसका मन बेचैन हो उठा था। उसे बार-बार लग रहा था कि वो शायद इस लड़की को जानता है लेकिन फ़िलहाल उसका दिमाग पहचान का कोई सूत्र उसके हाथ में नहीं थमा रहा था। एक बार फिर जब तारा वैदेही के साथ राघव के केबिन में पहुँची तब राघव ने वैदेही की तरफ देखा लेकिन फिर उसने सोचा कि अगर वो एकटक उसे देखेगा तो कहीं ये अजनबी लड़की उसके विषय में कुछ गलत न सोच बैठे कि वो क्यों उसे घूर-घूरकर देख रहा है। इसलिए उसने तारा की तरफ अपना ध्यान