अध्याय 9 राजगुह्य योगअध्याय आठ में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन का परम उद्देश्य बताया था। इस अध्याय के आरंभ में श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन तुम ईर्ष्या रहित और निष्कपट हो मैं तुम्हें वह ज्ञान प्रदान करूँगा जो सबसे श्रेष्ठ है। यह ज्ञान सबसे गहन है अतः इस ज्ञान को राज गुह्य विद्या कहा जाता है। यह बहुत प्रभावशाली है। इसको सुनने से चित्त शुद्ध होता है। यह प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने में सहायक है। इसके अभ्यास से धर्म की मर्यादा का आसानी से पालन किया जा सकता है। हे शत्रु का नाश करने वाले अर्जुन जो