लागा चुनरी में दाग़--भाग(५१)

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दोनों अस्पताल पहुँचे और प्रत्यन्चा ने शीलवती जी से पूछा.... "अब आप कैंसीं हैं चाची जी!", "ठीक हूँ!",शीलवती जी बोली... "लेकिन इन्होंने यहाँ का नाश्ता करने से इनकार कर दिया,जब ये खाऐगीं नहीं तो अच्छी कैंसे होगीं", डाक्टर सतीश बोले... "ये गलत बात है,आप ने नाश्ता क्यों नहीं किया",प्रत्यन्चा बोली... "मुझसे नहीं खाया गया बेटी!",शीलवती जी मुँह बनाते हुए बोलीं... "यहाँ का खाना कोई खा भी कैंसे सकता है,मुझसे भी नहीं खाया गया था,जब मैं अस्पताल में था", धनुष बोला... "लेकिन ये अच्छी बात नहीं है",प्रत्यन्चा बोली... "तो तुम ही क्यों नहीं कुछ बना लाती चाची जी के लिए,जैसे मेरे