लागा चुनरी में दाग़--भाग(५०)

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दोनों घर पहुँचे तो दोनों का फूला हुआ चेहरा देखकर भागीरथ जी समझ गए कि ये दोनों फिर से लड़ गए हैं, लेकिन तब उन्होंने बात को तह तक जानने की कोशिश की और दोनों से मज़ाक में कहा... "क्या हुआ,खाना नहीं मिला क्या दोनों को या फिर ये धनुष बटुआ ले जाना भूल गया था,कहीं ऐसा तो नहीं हुआ कि दोनों खाना खा चुके हो और रेस्तराँ का बिल चुकाने के लिए रुपए ना हो इसलिए रेस्तराँ के मालिक ने तुम दोनों से उसके एबज में जूठे बरतन धुलवा लिए हों" "नहीं! दादाजी! ऐसा कुछ भी नहीं हुआ,बस यूँ