लागा चुनरी में दाग--भाग(४६)

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फिर जब विलसिया प्रत्यन्चा को बुलाने उसके कमरे में पहुँची तो प्रत्यन्चा ने उससे कहा... "काकी! आज भूख नहीं है,बस आराम करने को जी चाहता है" "कुछ तो खा लो बिटिया!",विलसिया बोली... "नहीं! काकी! बिलकुल भी मन नहीं है,कुछ भी खाने का",प्रत्यन्चा बोली... "अगर बिटिया! तुम्हें भूख नाहीं लाग रही है तो फिर ऐहका मतलब है कि नज़र लागी हुई,नीचे चलो हम तुम्हारी नज़र उतार देते हैं",विलसिया ने प्रत्यन्चा से कहा... "काकी! भला! मुझे किसकी नज़र लग सकती है",प्रत्यन्चा ने विलसिया से बोली... "ऐसन होत है बिटिया! मालिक कहत रहे कि काल तुम साड़ी पहनी रही हो,सो लाग गे हुई