साहिर लुधियानवी का एक बहुत खूबसूरत शेर है - “वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन , उसे एक खूबसूरत मोड देकर छोड़ना अच्छा | ” अपनी ज़िंदगी मे ढेर सारे ऐसे प्रसंग आते रहे जिन पर लिखा जाए , बहस मुबाहिसा की जाए तो पूरी ज़िदगी ही छोटी पड़ जाएगी |लेकिन उनका संदर्भित किया जाना आत्मकथा में आवश्यक भी है क्योंकि तभी आप अपने साथ उन लम्हों के साथ न्याय कर पाएंगे | जैसा पहले ही बताया चुका हूँ कि मेरी दो संतानें हो चुकी थीं – दोनों पुत्र | बड़े दिव्य आदित्य जिनका पुकार नाम है