महल आने के बाद भी महारानी यकछीका के दिमाग मे यही सब बाते चल रही होती हैं। और उसे समझ नहीं आता की महागुरू ने पहले तो कभी धरती लोक की बाते नही की फिर अचानक से इस तरह क्यों जरूर कोई बात होंगी तभी महागुरू ने ऐसा कहा है सोच कर वो आँखें बन्द कर मन मे कुछ मंत्रो को पढ़ती हैं और फिर एक बड़ा सा दर्पण दीवार पर दिखाई देता हैं जिससे वह एक एक कर सभी लोको को देखने लगती हैं फिर उनकी नजर एक लोक मे आकर डेहर जाती है। ये था धरती लोक वो