लागा चुनरी में दाग़--भाग(४३)

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अब प्रत्यन्चा और धनुष के बीच का झगड़ा खतम हो चुका था,फिर से प्रत्यन्चा धनुष के खाने पीने और दवाइयों का ख्याल रखने लगी थी,ऐसे ही एक दो दिन बीते थे कि एक शाम डाक्टर सतीश के साथ उनकी माँ शीलवती जी भागीरथ जी के घर आईं और उनसे बोलीं.... "दीवान साहब! कल सतीश के पिता जी की बरसी है,तो उनकी आत्मा की शान्ति के लिए पूजा और भोज रखा है,आप लोग आऐगें तो हमें अच्छा लगेगा" "जी! हम जरूर आऐगें",भागीरथ जी बोले.... "एक बात और कहनी थी आपसे,लेकिन कहते हुए संकोच सा हो रहा है",शीलवती जी भागीरथ जी से