लागा चुनरी में दाग़--भाग(४१)

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अब प्रत्यन्चा धनुष को जैसा करने को कहती वो बिना नानुकुर के वैसा ही करता,धनुष में आई तब्दीलियांँ देखकर तेजपाल जी को थोड़ी राहत मिलती,इसी तरह एक रात धनुष को नींद नहीं आ रही थी,उसे बहुत बैचेनी हो रही थी,पता नहीं क्या सोचकर वो बिस्तर से उठा और उठकर अपने कमरे से बाहर आ गया,फिर वो घर के दरवाजे खोलकर आउटहाउस की ओर चल पड़ा...... उसे कमरे से जाते हुए भागीरथ जी ने देख लिया था लेकिन वे उससे बोले कुछ नहीं चुपचाप अपनी आँखें बंद किए बिस्तर पर लेटे रहे,वे भी देखना चाहते थे कि आखिर धनुष करने क्या