लागा चुनरी में दाग़--भाग(४०)

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इसके बाद प्रत्यन्चा ने सबसे पहले धनुष को दाल चावल खिलाया फिर उसने भागीरथ जी के लिए खाना परोसा,उनको खिलाने के बाद प्रत्यन्चा ने खुद खाना खाया और खाना खाने के बाद वो शरतचन्द्र चटोपाध्याय का चरित्रहीन लेकर पढ़ने बैठ गई...... उसे पढ़ने में उसका बहुत मन लग रहा था और ये बात धनुष को अच्छी नहीं लग रही थी,भागीरथ जी अब आराम कर रहे थे,इसलिए धनुष से बातें करने वाला कोई नहीं था,धनुष सोच रहा था कि प्रत्यन्चा किताब ना पढ़कर उससे बातें करे,इसलिए उसने प्रत्यन्चा से पूछा... "किताब क्या इतनी दिलचस्प है,जो तुम पढ़े जा रही हो" "पढ़ने