लागा चुनरी में दाग़--भाग(३७)

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फिर प्रत्यन्चा की बात सुनकर भागीरथ जी तेजपाल जी से बोले.... "अब से हर वक्त हम रहेगें धनुष के साथ अस्पताल में,भला! हम भी देखते हैं कि वो सिगरेट को कैंसे हाथ लगाता है" "हाँ! मेरे ख्याल से यही सही रहेगा",प्रत्यन्चा बोली... "तो चलो खाना खाकर हम दोनों अस्पताल चलते हैं", भागीरथ जी प्रत्यन्चा से बोले.... "दादाजी! मैं तो धनुष बाबू के सामने बिलकुल ना जाऊँगी,मैं तो उनकी दुश्मन पहले से ही हूँ और आज जो अस्पताल में हुआ तो उस बात के लिए मैंने उनकी अच्छे से खबर ले ली,जिससे वो मुझसे और भी ज्यादा चिढ़ गए होगें,अगर मैं