लागा चुनरी में दाग़--भाग(३६)

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तेजपाल जी मंदिर पहुँचे फिर उस दिन उन्होंने भगवान की विधिवत पूजा की और भगवान का आभार प्रकट किया कि उनके बेटे धनुष को कोई गम्भीर चोट नहीं आई,इसके बाद दोनों मंदिर से लौटे तो तेजपाल जी ने प्रत्यन्चा से कहा.... "बेटी! जल्दी से नाश्ता बना लो,फिर मुझे अस्पताल भी जाना है" "जी! चाचाजी!" और ऐसा कहकर प्रत्यन्चा नाश्ता बनाने में जुट गई,नाश्ता करने के बाद तेजपाल जी भागीरथ जी से बोले... "बाबूजी! आप घर पर आराम कीजिए,आप रातभर से सोएं नहीं है आप यही रहिए,मैं अस्पताल होकर आता हूँ" "तू अकेला क्यों जा रहा है,प्रत्यन्चा को साथ लेता जाता",भागीरथ