लागा चुनरी में दाग़--भाग(३४)

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उस दिन अपनी चाल में कामयाब ना होने के बाद धनुष काफी हतोत्साहित हो चुका था, प्रत्यन्चा को घर से निकालने की उसकी कोई भी चाल अब कामयाब नहीं हो पा रही थी,इसलिए वो प्रत्यन्चा से अब और भी ज्यादा चिढ़ने लगा था,जब उसकी नजरों के सामने प्रत्यन्चा पड़ती तो उसकी आँखों में प्रतिशोध की ज्वाला जलने लगती और उसके मन में प्रत्यन्चा के लिए नफरत और भी बढ़ जाती,लेकिन वो मजबूर था,उसका वश चलता तो वो फौरन ही प्रत्यन्चा को घर से निकालकर बाहर करता.... और एक रात वो प्रत्यन्चा के लिए अपने मन में यूँ ही नफरत भरकर