लागा चुनरी में दाग़--भाग(३२)

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धनुष प्रत्यन्चा से बदला लेने की नई तरकीब सोचने लगता है,लेकिन उसे कोई भी तरकीब ना सूझी, फिर वो रात के वक्त हताश होकर क्लब चला गया,वहाँ उसकी मुलाकात उसके पुराने दोस्त सिद्धार्थ से हुई, धनुष का उतरा हुआ चेहरा देखकर सिद्धार्थ ने उससे पूछा.... "क्या बात है भाई! तू तो हरदम खुश नज़र आता था,लेकिन आज तेरी शकल पर बारह क्यों बजे हुए हैं" "मत पूछ यार! एक आफत गले पड़ गई है,बस उसी से पीछा छुड़ाने की तरकीब निकाल रहा हूँ,पिछली बार मैंने एक चाल चली थी उसके खिलाफ और मुँह के बल औंधा गिरा,ना जाने वो आफत