श्री सींवाजी

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श्री सींवाजी भगवद्भक्त सद्गृहस्थ थे। आपकी सन्त सेवा में बड़ी निष्ठा थी। आपके दरवाजे पर सन्त मण्डली प्रायः आती रहती थी, इससे समाज में आपका सम्मान भी बहुत था। आपकी यह प्रतिष्ठा अनेक लोगों की ईष्र्या का कारण बनी। उन लोगों ने राजा से आपकी शिकायत कर दी। अविवेकी राजा ने भी बिना कोई विचार किये आपको कारागार में डाल दिया। आपकी सन्त प्रकृति थी, अतः आपके लिये सुख दुःख, मान-अपमान सब समान ही थे; परंतु आपको इस बात का विशेष क्लेश था कि अब मेरी सन्त सेवा छूट गयी है। एक दिन एक सन्त मण्डली आपके घर पर आयी,