द्वारावती - 20

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20मोहन भूमि को खोदने लगा। उसकी ध्वनि से आकर्षित कुछ बालक वहाँ आ गए, कौतुक द्रष्टि से देखने लगे। केशव भी आ गया। “रुको, रुको मोहन काका।” मोहन रुक गया। “मित्रों, यह मोहन काका है। आज से वह इस भूमि पर खेती करेंगे। कुछ वृक्ष उगाएँगे। क्या हम सब उसका साथ देंगे?”“हां।” अनेक ध्वनि एक साथ गूँज उठी। “चलो हम भी मोहन काका की सहायता करते हैं।” सब दौड़े। “रुको। ऐसे नहीं। मोहन काका, सबसे पहले धरती को वंदन करते है। उसकी पूजा करते हैं। धरती से अनुमति माँगते है। उसकी प्रार्थना करते हैं। तत् पश्चात हम कार्य करेंगे।”“हां, शास्त्र