धनुष तेजपाल जी और भागीरथ जी की बात मानकर प्रत्यन्चा को ढूढ़ने चला तो गया लेकिन उसका बिलकुल भी मन नहीं था कि प्रत्यन्चा घर में दोबारा लौटकर आएँ,लेकिन प्रत्यन्चा को ढूढ़ना उसकी मजबूरी थी,नहीं तो उसे भी घर में घुसने नहीं दिया जाएगा,उस पर रात भी हो चुकी थी इसलिए उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो प्रत्यन्चा को कहाँ ढूढ़े.... अगर वो उसे ढूढ़ भी लेता है तो क्या प्रत्यन्चा उसके साथ घर वापस आऐगी,यही सवाल उसके मन में चल रहा था,इसी सवाल के साथ वो प्रत्यन्चा को ढूढ़ने में जुट गया..... और इधर प्रत्यन्चा का