लागा चुनरी में दाग़--भाग(२२)

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जब धनुष वहाँ से चला गया तो भागीरथ जी प्रत्यन्चा से बोले.... "देखा! बिटिया! बिना खाए उठकर चला गया,देखना एक दिन इसकी हरकतें हमारी जान लेकर रहेंगीं", "ऐसा ना कहें दादाजी! सब ठीक हो जाएगा",प्रत्यन्चा बोली... "कुछ ठीक नहीं होगा बेटी! ये कभी सुधरने वाला नहीं है और हम यूँ ही एक दिन कुढ़ कुढ़कर मर जाऐगें", भागीरथ जी बोले.... "अब आप भला बिन माँ के बच्चे से कैंसी आशा रख सकते हैं,उनकी माँ होती तो दो थप्पड़ मारकर सुधार देती,उनकी माँ नहीं थी तो आप सभी ने भी उन्हें खूब छूट दे दी,इसलिए वो ऐसे हो गए हैं",प्रत्यन्चा बोली....