उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 18

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भाग 18 " क्यों....? हमारे पास अपनी पर्याप्त ज़मीन कुशीनगर में हैं। अब नया प्लाट लेने की आवश्यकता क्यों..? " शालिनी ने उत्सुकतावश पूछा। " आवश्यकता अभी नही, आगे पड़ेगी। जमीन लेने की ही नही, उस पर मकान बनवाने की भी आवश्यकता पड़ेगी। " राजेश्वर ने कहा। शालिनी उसकी ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखती रही। " लखनऊ में तो कोई जमीन नही है आपकी, यहाँ भी आपका आना-जाना लगा रहाता है। आगे भी लगा रहेगा, इसलिए यहा एक अपना मकान आवश्यक है। " शालिनी को प्रश्नवाचक दृष्टि से अपनी ओर देखता हुआ पाकर राजेश्वर ने कहा। राजेश्वर की बातें सुनकर