उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 14

  • 1k
  • 429

भाग 14 " इस औरत के कारण हमारी खानदानी सीट हमारे हाथों से निकल गयी। " ताई जी जब भी शालिनी को देखतीं तब कड़वे शब्दों की बौछार करतीं। शालिनी सोचती कि जब इन्दे्रश जीवित था तब शालिनी बहू थी, और अब औरत हो गयी है। " न जाने किस बात की सजा देने के लिए ये जीवित रह गयी है। इन्द्रेश के साथ ये भी चली जाती तो अच्छा था। " ये ताऊजी के शब्द होते थे। सत्ता के लोभ का ऐसा पर्दा पड़ चुका था उन सबकी आँखों पर कि वो यह भी विस्मृत कर बैठे थे कि