उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 9

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भाग 9 " बिटिया तू कब ले रूकबू? " दादी ने मेरी ओर देखकर पूछा। " हम..? दो-चार दिन और रूकेंगे दादी। " मैंने दादी से कहा। " ठीक बा। " दादी ने कहा। उनके चेहरे पर मुस्कराहट थी। माँ को ऐसा लगा जैसे दादी अब जाने को तत्पर हो रही हैं। " खाना खा के र्जाइं अम्मा! " माँ ने आग्रह करते हुए दादी से कहा। " ठीक बा। का बनईबू बिटिया। तू त जनते बाडू कि हमारा एकौ दाँत नाही बा। " कह कर दादी मुस्करा पड़ीं। " आप जवन कहीं, बन जाई। " माँ ने कहा। "