गुमराह यात्री

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मे न जाने किस ख्वाब में डूबा था आचनक मेरे मन में न जाने कहा से ख्याल आया यात्रा करने को फिर मेने सोचा कहा जाऊ मेने अपना कपड़ा रखा और पैदल ही गांव के बाहर के बाहर के तरफ निकल दिया कुछ दूर पैदल चलने के बाद मुझे कुछ दूरी पर एक सवारी गाड़ी दिखी जो मेरे समीप आकर रूकी ड्राइवर ने पूछा कहा जाना है मेने कहा रेल्वे स्टेशन वह गाड़ी को चालू किया और चला और मुझे रेल्वे स्टेशन पर उतार कर अपना किराया लेकर आगे बढ़ा और कुछ देर बाद गाड़ी आ गई और उसमे में